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Tuesday, July 4, 2017

प्रेम करती हूँ तुमसे

 
यमुना  किनारे उस रात
मेरे हाँथ की लकीरों में 
एक स्वप्न दबाया था ना  
उस क्षण की मधुस्मृतियाँ 
तन को गुदगुदाती है 
उस मनभावन रुत में 
धडकनों का मृदंग

बज उठता  है 
मयूर पंख फैलाए

नृत्य करता है 
सलोना मेघ तकता है

यह मोहक  उत्सव 
इस स्वप्न के 

आवेश में डूबकर 
आँखे मुखर हो उठती हैं  
अधखुले मादक अधरों से 
मौन  प्रीत बरसती है 
जहां गूँज उठता है 

बस उसी पल 
प्रेम करती हूँ तुमसे 

...बस तुमसे 

#हिंदी_ब्लॉगिंग 

Saturday, July 1, 2017

बेटी बचाओ




स्वतंत्र अणु  
मुक्त जग में  
रहा  विचरता 
नभ से थल तक 
अपरिमित शक्ति
 भरी थी 
ओज भरा था 
अंत:स्थल तक 
नियत समय में 
स्रष्टि ने फिर 
उसके जीवन को 
अर्थ दिया 
मानव रचना हेतु उसको 
भावी माँ का 
गर्भ दिया 
उत्साहित था 
पा शरीर को 
देखूंगा अब
 दुनिया सारी 
था प्रतीक्षारत व्याकुल 
कब गूंजूंगा 
बन किलकारी 
अनायास जो 
हुआ आक्रमण 
कुछ भी ना
 समझ पाया 
बदला रक्त 
औ मांस पिंड में 
कैसी ये 
स्रष्टि की माया 
प्रश्नों का बोझ
 था मन में 
पुन: देह से 
अणु हुआ 
मादा होने के कारण वह 
नवजीवन ना 
देख सका

#हिंदी_ब्लॉगिंग