यूँही एक लिंक से दुसरे लिंक घूमते हुए कुछ पुरानी कहानियों में पहुँच गई , शिवानी मेरे बचपन की प्रिय लेखिका, एक ही कहानी उम्र के अलग अलग दौर में अलग अलग असर पैदा करती है, शायद बड़े होते होते हमारी मानसिक परिपक्वता भी अलग हो जाती है।
एक नशा सा था शिवानी को पढ़ने में बेहद सहज ,सपनो सा प्रेम पर उन सबमें गड़ा हुआ दुःख या कष्ट का एक ऐसा दंश जो या तो आँखों की कोर भिगो दे या बहुत देर तक सहज ना होने दे।
शिवानी की नायिकाएं शिवानी के आँगन से उत्तराँचल से निकली ,परियों सी सुन्दर ,भोलेपन से भरी पर उनकी सुंदरता के साथ शापित भाग्य ,दुखांत ,लाइलाज बीमारी ,धोखा तेजी से बदलते घटनाक्रम जो आपके भीतर सिहरन भर दे , मुंह से निकल जाए "भगवान् दुश्मन को भी ये ना दिखाए "
कविताओ के समुद्र में अच्छी कहानियों के प्यासे हम , बस तरस के रह जाते हैं , आपके पास कुछ अच्छी कहानियों के लिंक हो तो शेयर करें