Pages

Wednesday, August 5, 2015

भय



भय का किल्ला फूटा  
मन के सहमें कोनें में 
कांटे क्यों  उग आये है 
रेशम जड़े  बिछोने में    
क्या मेरा है जो लूटेगा 
छोड़ दिया सो छूटेगा  
आँखों में सपने डूब गए 
हर दिन के रोने धोने में 
भारी साँसे भारी जीवन 
पीड़ा स्वप्न सजोने में  
कांटे क्यों  उग आये है 
रेशम जड़े  बिछोने में