भय का किल्ला फूटा
मन के सहमें कोनें में
कांटे क्यों उग आये है
रेशम जड़े बिछोने में
क्या मेरा है जो लूटेगा
छोड़ दिया सो छूटेगा
आँखों में सपने डूब गए
हर दिन के रोने धोने में
भारी साँसे भारी जीवन
पीड़ा स्वप्न सजोने में
कांटे क्यों उग आये है
रेशम जड़े बिछोने में