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Friday, June 28, 2013

मुस्कुरा दो यार




इन आफतों को भुला दो यार
इस हालत में मुस्कुरा दो यार
दुनिया चाहती है मायूस देखना
तुम ज़रा खिलखिला दो यार
सर पर सवार है फतूर बनके
हिलाकर गर्दन गिरा दो यार
अकड़ है आसमान सी जिनकी
धूल  उनको चटा दो यार
कमज़ोर कहा करते है अक्सर
कुर्सियां उनकी हिला दो यार
निबट लेंगे जुल्म-ज़माने से
एक ज़रा हौसला बढ़ा लो यार

11 comments:

  1. मूड क्रांतिकारी है :) :)

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  2. बढ़िया अनुरोध-
    शुभकामनायें आदरणीया -

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  3. प्रेरणा देती रचना , शुभकामनाये

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  4. बहुत खूब ... होंसला बढ़ जाए तो सब कुछ हिला देंगे आज के नौजवान ...
    उमंग लिए .. जोश लिए ...

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  5. निबट लेंगे जुल्म-ज़माने से
    एक ज़रा हौसला बढ़ा लो यार

    ...बहुत खूब! यह ज़ज्बा बना रहे...

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  6. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन काँच की बरनी और दो कप चाय - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. बहुत सुन्दर, उत्साह बढ़ाती हुयी रचना।

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  8. इनमे से कई का हम यारों से नहीं करवाना चाहेंगे !

    लिखते रहिये :)

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  9. वो हैं ज़रा खफा खफा नैन यूँ चुराये हैं
    पहाड़ टूटे बह गए वे बिजलियाँ गिराए हैं

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  10. निबट लेंगे जुल्म-ज़माने से
    एक ज़रा हौसला बढ़ा लो यार

    बहुत खूब! बहुत सुन्दर रचना।

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