मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
Friday, June 28, 2013
Saturday, June 15, 2013
रेनी डे ....
सोचकर बैठे थे इस बार बारिश का ना इंतज़ार करेंगे ना बारिश को याद
करेंगे ..पर कमबख्त दिल है जो बार बार बादलों के साथ उड़ चलता है और बचपन
सामने आकर खडा हो जाता है कैसे दूर रहेगी इस चौमासे की दीवानगी से नहीं
रहने देंगे ...तब से अबतक क्या बदला कुछ भी नहीं ... नहीं मानते तो सुनो
रेनी डे ....
बचपन में इस मौसम सबसे बड़ा दुःख ये था जब हम क्लास में होते है तब सबसे देर तक ज़ोरदार बारिश होती है, आज ऐसी बारिशों में ऑफिस में कैद होते है शनिवार इतवार तो बस इन बेवफा बादलो के बरसने के इंतज़ार में बीत जाते है
बचपन में इस मौसम सबसे बड़ा दुःख ये था जब हम क्लास में होते है तब सबसे देर तक ज़ोरदार बारिश होती है, आज ऐसी बारिशों में ऑफिस में कैद होते है शनिवार इतवार तो बस इन बेवफा बादलो के बरसने के इंतज़ार में बीत जाते है
हाय पकोड़े ...
आस्मां में बादल और चूल्हे पर कढाई दुनिया के बेहतरीन कॉम्बिनेशन में से है भीगे सर गरम पकोड़े जो सुख देते है वो अवर्णनीय है ..कान तक लगने वाली मिर्च के पकोड़े उफ़
सोंधी मिटटी ...
पहली बारिश का इंतज़ार इस खुशबू के इंतज़ार से जुडा है,लाख कमरों में बंद हो ,भले ही टीन की छत ना हो जो टिप टिप का संगीत सुनाये ,पर भीगी मिटटी की सोंधी खुशबू ,आपके कदम बरबस आँगन की तरफ मोड़ देते है
इस
मौसम की दीवानगी के चलते कितनी कवितायें और गीत रच गई ... इस मौसम में
फैलने वाले वायरल की तरह बारिश की दीवानगी का वायरल आपको भी लगा देती हूँ... आनंद लीजिये पहली बारिश के खुमार में भीगी एक पुरानी कविता का ...पहली बारिश और हम तुम....
Friday, June 7, 2013
संभव है तम उस पार नहीं
वो चमन के खात्मे की साजिश
थी,चमन में ज़िन्दगी नागवार थी उनको ,चाहते थे मुस्कुराहटें बंद हो जाएँ और
चमन में सिर्फ अफ़सोस का मौहोल रहे , और चेहरे पर सफ़ेद मातम लपेटे परिंदे , आँखों में लहू लिए एक दुसरे को नफरत से घूरा करें
बस यही तो था उनका मकसद
बस यही तो था उनका मकसद
साँसे दूभर हो सकती है
राहे बोझिल हो सकती है
भटकाव बहुत संभव है
सही दिशा खो सकती है
ये तो सफ़र की बात रही
मंजिल का सरोकार नहीं
इस पार घना अँधियारा है
संभव है तम उस पार नहीं
जीवन की पुस्तक में तो
मृत्यु सिर्फ एक घटना है
सूर्यग्रहण सा है अंधियारा कुछ पल में यह हटना है
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