Pages

Tuesday, May 21, 2013

बवाल है बवाल है !

बवाल है बवाल है
बड़ा अजब हाल है
लापता से तंत्र में
ये कौम बेहाल है

पटरी से उतर गई
मालामाल कर गई
मामा की रेल है 
भांजा निहाल है

राष्ट्र के गले पड़े
राष्ट्रीय दामाद है
मौन है सारे देवता 
खुजली है खाज है 


नेता भी भीतर है
अभिनेता भी जेल में
भारतीय कारागार अब
राष्ट्रीय ससुराल है

बैट बॉल छोड़कर
गड्डियों का खेल है
खेल खिलाडियों का
अब ठिकाना जेल है

सबके बंद कान है
जनता हैरान है
समझ लो भैया ये
भारत निर्माण है