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Wednesday, June 6, 2012

तुम संग

तुमने कहने सुनने के सारे रास्ते बंद कर दिए ..तुम तक मेरी कोई सदा ना पहुंचे ....चीखती रहूँ मैं इस खुले आसमां के नीचे और तुम जिसने अपने को बंद कर लिया है एक कोठरी में ...क्या नहीं जानते तुम तुम तक मेरी क्या किसी की आवाज़ नहीं पहुंचेगी  साथ में ना पहुंचेगी सुबह की धूप और रात की चांदनी ...बारिश के बाद मिटटी की सोंधी खुशबू से महरूम रहोगे ..शायद यही तुम्हारी नियति है या तुमने इससे अपनी नियति बना लिया है ...तुम ताजगी से दूर रहना चाहते हो चाहते हो बासी यादों में लिपटे रहना  पर जानते नहीं क्या वो अतीत था ..अतीत वर्तमान को काला कर देता  है और काले रंग पर कोई और रंग नहीं चढ़ता ,पर मैं भी कोशिश करती रहूंगी  सुनहले,रुपहले और गुलाबी रंगों के साथ तुम्हारे मन की दीवारों को रंगने  की किसी दिन तो तुम एक झरोखा खोलोगे और मुझे आने दोगे ...कही ना कही कोई संद  रह गई होगी मैं एक किरण बन उतर आऊंगी और तुम्हे एहसास दिलाउंगी रौशनी सबके लिए है दुनिया में तुम्हारे लिए भी और तुम इनकार न कर सकोगे ...मैं आशा हूँ और तुम्हे निराश कैसे छोड़ दूं ...सच है वो तुम्हारी ज़िन्दगी का हिस्सा थी पर अब पन्ने पलट लो नए पन्ने पर कुछ लिखो अगर मुझे मौक़ा दो तो शायद मैं कुछ लिख पाऊं ...आखिर प्यार करती हूँ तुमसे ..
(गीत की भावनाओं को समझिये .........)


10 comments:

  1. ये सक्स्च है की यादों कों छोड़ना आसान नहीं होता पर ... समय रुकता भी नहीं ... द्वार खोल देने में ही भलाई है ...

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  2. खुलेगा ...द्वार खुलना ही होगा..रौशनी किसके रोके रुकी है.

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  3. ये पढकर न जाने क्यों उस दिन का आपसे मिलना याद आ गया. सामने आपकी छत और बीच में ही उठ कर जाने की आपकी मज़बूरी... बहुत देर तक न रुक सकने में हम सभी की असमर्थता... क्योंकि कई बार किरण को रुक जाना होता है दूसरों के लिए, भले ही काले रंग पर कोई रंग न चढ़े पर कोशिश तो होती ही है. बहुत अच्छा लिखा है सोनल.

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  4. संवाद और स्मृतियाँ रह रहकर घुमड़ती हैं।

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  5. कल्पना से परे जो होता है प्यार - उसकी खातिर यूँ हीं उद्विग्नता बनी रहती है , चाह बनी रहती है

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  6. मैं आशा हूँ और तुम्हे निराश कैसे छोड़ दूं ... हमेशा यही भाव रहे

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  7. काली स्याह दीवारों को ज़िन्दगी के रंग से रंगना निःसंदेह मुश्किल होगा!!

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  8. अतीत वर्तमान को प्रभावित करते ही है

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  9. बहुत सुन्दर !

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  10. आशा के साथ प्रयास जारी रहें ...

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