चढ़ा आषाढ़ पर बुखार सावन का
कैसा है ये बवाल सावन का
सूखी पड़ी है पगडंडियाँ गाँव की
सबको है इंतज़ार सावन का
गर्म लू में भी फुहारों की बातें
अज़ब है ये खुमार सावन का
जहां देखो टंगी है आँखे अम्बर पर
हर शख्स है तलबगार सावन का
झूले हांथों में चर्चे उसकी आमद के
जाने कब हो जाए दीदार सावन का
अम्बर पे बादलों की आहट से चौकना
कितना मुश्किल है इंतज़ार सावन का
जिसके पिया इस बरस नहीं आयेंगे
पूछो उससे कहर बेकरार सावन का
इस तीज बुलावा आएगा मां के घर से
बिटिया को है झूठा ऐतबार सावन का
फसल होगी, जलेगा चूल्हा इस साल
उसकी ज़िन्दगी पे है इख्तियार सावन का
बहा था चढ़ती कोसी में पिछले बरस
करता है वो कातिलों में शुमार सावन का