सीता तुम थी शक्ति
फिर क्यों दी अग्निपरीक्षा
यदि न रहती मौन तब तुम
बच जाती फिर कितनी सीता
वन वन भटकी थी तुम
पतिव्रत धर्म निभाने को
कठिन समय में त्यागा राम ने
एक मर्यादापुरुषोत्तम कहलाने को
क्यों न प्रश्न किये तब तुमने
क्यों न तब धिक्कार किया
सीता को बेघर करने का
तुमने ही अधिकार दिया
तुमने ली समाधि जिस पल
तुम तो जीवन से मुक्त हुई
पर तुम जैसी कितनी सीतायें
जीते जी अभिशप्त हुई