गुनगुनी धुप में
गुनगुनाते दिन
फिर आये
रूठते मनाते दिन ..
उलझाकर लटें
ताव में आते दिन
तिरछी भवों पर
भाव खाते दिन
फिर आये
रूठते मनाते दिन ..
कमर के बल पर
निसार जाते दिन
सुर्ख रुखसार पर
तमतमाते दिन
फिर आये
रूठते मनाते दिन ..
छिटक कर
दूर जातें दिन
सुबक कर
पास आते दिन
फिर आये
रूठते मनाते दिन ..
भरी दोपहर में
उकताते दिन
उनबिन उबासियों से
काटे दिन
फिर आये
गुनगुनाते दिन
फिर आये
रूठते मनाते दिन ..
उलझाकर लटें
ताव में आते दिन
तिरछी भवों पर
भाव खाते दिन
फिर आये
रूठते मनाते दिन ..
कमर के बल पर
निसार जाते दिन
सुर्ख रुखसार पर
तमतमाते दिन
फिर आये
रूठते मनाते दिन ..
छिटक कर
दूर जातें दिन
सुबक कर
पास आते दिन
फिर आये
रूठते मनाते दिन ..
भरी दोपहर में
उकताते दिन
उनबिन उबासियों से
काटे दिन
फिर आये
रूठते मनाते दिन ..