ना तुम देह से परे
कभी सोच पाए ना सोच पाओगे
पलटवार करोगे
जो खुद को कमतर पाओगे
ना दोगे स्थान बराबरी का
स्वयं अर्जित किया
तो खीजोगे तिलमिलाओगे
तुम्हारे जन्म से
तुम्हारी वासनाओ तक
तुम्हारे पेट से लेकर
तृप्त अतृप्त इच्छाओं तक
निचोड़ोगे दबाओगे
पर देह से इतर जो मन है
उसे क्या जान पाओगे
कभी सोच पाए ना सोच पाओगे
पलटवार करोगे
जो खुद को कमतर पाओगे
ना दोगे स्थान बराबरी का
स्वयं अर्जित किया
तो खीजोगे तिलमिलाओगे
तुम्हारे जन्म से
तुम्हारी वासनाओ तक
तुम्हारे पेट से लेकर
तृप्त अतृप्त इच्छाओं तक
निचोड़ोगे दबाओगे
पर देह से इतर जो मन है
उसे क्या जान पाओगे