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Wednesday, October 19, 2011

देह से इतर

ना तुम देह से परे
कभी सोच पाए ना सोच पाओगे
पलटवार करोगे
जो खुद को कमतर पाओगे
ना दोगे स्थान बराबरी का
स्वयं अर्जित किया
तो खीजोगे तिलमिलाओगे
तुम्हारे जन्म से
तुम्हारी वासनाओ तक
तुम्हारे पेट से लेकर
तृप्त अतृप्त इच्छाओं तक
निचोड़ोगे दबाओगे
पर देह से इतर जो मन है
उसे क्या जान पाओगे

Wednesday, October 12, 2011

माँ व्यस्त रहती है

वो सोच सोच कर रखती है
हर बात मुझे बताने के लिए
मेरे हां, अच्छा कहने  भर से
सार्थक हो जाता है उसका याद रखना
 
बात बड़ी या छोटी कोई फर्क नहीं
बस बात होनी चाहिए जिससे
वो सुन सके और कह सके मुझसे
थोड़ी ज्यादा देर तक

जबसे महसूस किया है उसने
मैं उसके हाल चाल पूछता हूँ
और वो मेरी तबियत पूछती है
और पसर जाता है सन्नाटा
 
दोस्तों के बीच जिस बेटे की बातें
ख़त्म नहीं होती घंटों तक
अपनी माँ से बात करने पर
विषय शब्द ढूंढें नहीं मिलते 
 
पर माँ तो सहेजती है हर घटना
हर विषय हर रंग और हर स्वर
जिससे एक फोन के कटने से
दूसरा फोन आने तक व्यस्त रहती है


Saturday, October 1, 2011

आप तो सुपरवूमन हो -हे देवी माँ



हे देवी  माँ सच्ची अब लिमिट की भी लिमिट क्रोस हो गई है या तो हमें दे दो अष्टभुजा या हम भी चले नौ दिन के अनशन पर, आपके सामने से हटेंगे नहीं, एक तो आपकी मोहिनी सूरत ऊपर से शेर और इतने सारे शस्त्र (लाइसेंस है क्या ?) कोई इम्प्रेस नहीं होगा तो क्या होगा, लाइन तो लगेगी ही ना ,आप तो सुपरवूमन हो और अपन ठहरे आम भारतीय नारी सुबह से  मशीन की तरह जो स्टार्ट होते है रात बिस्तर पर  उल्लुओं और झींगुर को गुड नाईट बोलकर सोने जाते है कई बार चौकीदार भी दांत दिखाता है "मेमसाब आप तो जाग ही रही है कहें तो मैं थोड़ी देर झपकी मार लूं ".  दिन भर की चढ़ी मेकअप की परत के साथ नकली मुस्कान को भी उतार कर किनारे रखते है ..अगले दिन सुबह सुबह फिर जो चिपकानी होगी होंठों पर ,.. इतना टाइम नहीं होता हमारे पास कि जवाब दे सके "क्या हुआ?" "चेहरे पर बारह क्यों बजे है ","तबियत  ख़राब है क्या ".  अजी सरदर्द ,कमर दर्द,एसिडिटी  ये सब तो खाली बैठे  लोगों के शगल है ये राजरोग भोगने और आराम से सबको सुनाने लगे तो पहुँच गए बच्चे स्कूल और पतिदेव और हम ऑफिस. हम नॉन-स्टॉप चलते है कितनी बार पानी पी पी कर भेजा (इंजन ) ठंडा करना पड़ता है ,सच कह रही हूँ माँ कई बार बंद करने की कोशिश की पर इमोशनल धक्के मार मार कर स्टार्ट करवा दी गई. कुछ नहीं तो अपना शेर की भेज दो कुछ दिनों के लिए कितना गुर्राते है सब एक बार दहाड़ देगा ना मेरे फेवर में तो बॉस से बिग-बॉस तक सबकी बोलती बंद. मां अपनी ट्रिक हमारे साथ भी तो शेयर करो कैसे सारे के सारे आपके सामने सर झुका देते है और कान पकड़ कर खड़े रहते है जबकि आप तो बस मुस्कुराती रहती हो कुछ कहती भी नहीं और यहाँ हमने बोलने को मुहं खोला वहां सामने वाला कान बंद करके निकल लेता है. कुछ तो मैजिक  करती ही हो आप की एक झलक  के लिए पहाड़ चढ़ जाते है नंगे पैर दौड़े आते है दारु -चिकन मटन सब छोड़ देते है , यहाँ तो कहते कहते कलेंडर की तारीखे बदल गई पर कुछ नहीं होता कभी कभी लगता है सुबह की चाय की तरह हमारी चक चक की भी आदत पड़ गई है. अरे आप तो मुस्कुराने लगी सोच रही होंगी कितनी शिकायत करती है ये लड़की पर क्या करूं आपसे नहीं कहूँगी तो किससे कहूँगी पर प्रोमिस कीजिये हमारे सारे अकाउंट (प्रोब्लेम्स वाले ) इसी साल सेटल करेंगी और सिर्फ खुशिया की कैरीफॉरवर्ड होंगे टेंशन ,दुःख और आंसू नहीं आपको छ महीने की डेडलाइन देती हूँ वरना अप्रैल में पक्का बैठ जाउंगी अनशन पर अब अन्ना शीतकालीन सत्र का वेट कर सकते है तो मैं क्यों नहीं . 
http://epaper.inextlive.com/12985/INEXT-LUCKNOW/29.09.11#p=page:n=15:z=2