Pages

Wednesday, September 28, 2011

मैं कुंदन हो जाउंगी



एक दिन पूरा तप जाउंगी
सच मैं कुंदन हो जाउंगी
जिस दिन तुमसे छू जाउंगी
हाँ मैं चन्दन हो जाउंगी
मीठे  तुम और तीखी  मैं
तुम पूरे और रीती  मैं
तुम्हे लपेटूं जिसदिन तन पर
मन से रेशम हो जाउंगी
नेह को तरसी नेह की प्यासी
साथ तुम्हारा दूर उदासी
फैला दो ना बाहें अपनी
सच मैं धड़कन हो जाउंगी
मंथर जीवन राह कठिन है
इन बातों की थाह कठिन है
तुम जो भर दो किरणे अपनी
सच मैं पूनम हो जाउंगी

Thursday, September 22, 2011

एक ख़त.....

डिअर X ,

तुम तो जानते ही हो  तुम से मेरा रिश्ता facebook से ही है , तुम्हारी हर बात स्टेटस अपडेट जैसी जिसे मैं पढ़ती ,गुनती और like  करती और एक दम से कमेन्ट भी कर देती हूँ ..तुम भी उस कमेन्ट पर अपना कमेन्ट करते हो और इसी तरह हम दोनों दुनिया से बे-खबर खोये रहते है  तुम्हे याद है ना जब हम आर्कुट पर थे कितना सताया था दुनिया ने ,मेरे तुम्हारे दिल की बातें गली गली डिसकस हुई थी मोहल्ले के चबूतरो से गाँव की चौपालों तक ..हर जानने वाला  हमारी ख़ास बातें आम कर रहा था उफ़ कितनी बदनामी ,तुम्हारी नीली शर्ट वाली तस्वीर चाह कर भी तुम्हे सेक्सी नहीं कह पाई वही ना दुनिया का डर ....
कितना मज़ा आता है ना दुनिया को दूसरों के प्रोफाइल में झाँकने में ,तसवीरें पलटने में ,एक से दुसरे ,दुसरे से तीसरे दोस्तों पर टाइम पास करने में, ये दुनिया दो प्यार करने वालों को कभी सुकून  से चैट नहीं करने देगी , मुझे कभी कभी डर लगता है कहीं तुमने भी तो दो प्रोफाइल नहीं बना रखे एक मेरे लिए और एक ...नहीं नहीं ऐसा सोचने से पहले पूरा facebook  हैक हो जाए ,सर्वर बैठ जाए ,सोशल नेट्वोर्किंग तबाह हो जाए ,क्या करूं मेरी फ्रेंडलिस्ट में दोस्त तो हज़ारों है पर कमिटेड तो मैं तुमसे ही हूँ ना, पता नहीं तुम्हे मेरे कुछ ख़ास दोस्तों से क्यों परेशानी होती है क्या तुम नहीं जानते वो तो सिर्फ टाइम पास है ..अब एक स्टेटस पर 40 -45 लिखे और कमेन्ट ना हो तो बताओ कैसे दिल लगेगा ,और तुम भी ना रहते कितने दूर हो क्या मैं जानती नहीं वो नासपीटी angel इन sky इसी ताक में रहती है के तुम कुछ लिखो और वो फट्ट से like कर दे ..हर वक़्त तुम्हे इम्प्रेस करना चाहती है ,पिछले हफ्ते उसकी जिस तस्वीर पर तुमने उसे "nice क्लिक" लिखा था उसका पोस्टर बना कर कमरे की दीवार पर लटका दिया है ,हिम्मत तो देखो ,सच कहती हूँ किसी दिन दिमाग खराब हुआ तो उसको फेसबुक की वाल पर बिना रस्सी लटका दूँगी , और R .I .P  भी लिखकर like  कर दूँगी ,अब तुम कहोगे मैं पजेसिव हो रही हूँ ,हाँ तो इसमें बुराई  क्या है ? जिससे सारे एकाउंट्स के paaswords  शेयर किये हो उससे इतनी भी उम्मीद करना बेमानी है क्या, मैं तुम्हारी और तुम मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा है मैं कोई स्टेटस  नहीं जिसे जब चाहा पोस्ट किया जब दिल में आया डिलीट कर दिया,खुदा ना करे वो दिन आये ,  प्लीज़ मेरे लिए अपनी privacy सेट्टिंग ओनली मेरे लिए कर दो ना प्यार में सब पब्लिक होना अच्छा नहीं होता. मेरा बस चले तुम्हारा शेयर का आप्शन ही disable कर दूं .

तुम्हारी

http://epaper.inextlive.com/12500/INEXT-LUCKNOW/22.09.11#p=page:n=15:z=1

Wednesday, September 14, 2011

कहो प्रिये क्या लिखूं

कुछ शब्दों के अर्थ लिखूं
कुछ अक्षर  यूँही  व्यर्थ लिखू
एक प्रेमकथा ,संवाद लिखू
संबंधो के सन्दर्भ लिखूं
इस जीवन का सार लिखूं
अंतर्मन का प्रतिकार लिखूं
नयनो में उपजा रोष लिखूं
या अपनों से  प्रतिशोध लिखूं
भस्म हुई वो निशा लिखूं
दग्ध ह्रदय की व्यथा लिखूं
हतप्रभ हूँ मैं और क्षोभित भी
मन मेरा है उद्वेलित भी
भेजूं मैं मेघ या पत्र लिखूं
प्रियतम प्रियतम सर्वत्र लिखूं

Tuesday, September 6, 2011

उत्सव मुझको प्रिय नहीं


उत्सव मुझको प्रिय नहीं
एकांत रुदन ही भाता है
भीगी आँखों से मेरा
अंतस धुल सा जाता है

भीड़  मुझे नरमुंड लगे
मित्र काग के झुण्ड लगे
परिचित चीलों गिद्धों  से
पहले कौन नोच खाता है

जितने आवरण मुख पर है
उतनी पीड़ा भीतर है
विद्रोह कष्ट  की ज्वाला से
मेरा स्व: जलता जाता है

उत्सव मुझको प्रिय नहीं