एक दिन पूरा तप जाउंगी
सच मैं कुंदन हो जाउंगी
जिस दिन तुमसे छू जाउंगी
हाँ मैं चन्दन हो जाउंगी
मीठे तुम और तीखी मैं
तुम पूरे और रीती मैं
तुम्हे लपेटूं जिसदिन तन पर
मन से रेशम हो जाउंगी
नेह को तरसी नेह की प्यासी
साथ तुम्हारा दूर उदासी
फैला दो ना बाहें अपनी
सच मैं धड़कन हो जाउंगी
मंथर जीवन राह कठिन है
इन बातों की थाह कठिन है
तुम जो भर दो किरणे अपनी
सच मैं पूनम हो जाउंगी