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Friday, July 29, 2011

सडको पर खर्च होती ज़िन्दगी


भले ही हमने सड़क पर जन्म नहीं लिया
और पले भी नहीं किसी फुटपाथ पर
पर बिता रहे है बेशकीमती हिस्सा ज़िन्दगी का 

चमकीली पथरीली काली सडको पर
खर्च करते हुए बे-भाव 

अपनी अलसाई सुबहें और धूसर शामें
काला धुँआ सोखते हुए फेफड़ों में

तकरीबन बहरे हो चुके है
सुन-सुनकर होर्न का चीखना
 तभी तो सड़क पर लहुलूहान
जिस्मों की चीखे नहीं सुनाई देती
सारे आवेग ,कुंठाए ,आक्रोश क्षोभ
रख देते है एक्सीलेटर पर
भागते चले जाते है दिशाहीन से
जाम में फसे हुए चिपट जाते है
प्रेत से आवेग और कुंठाए
 चीखते है बकते  है गालियाँ
मारने दौड़ते अनजान लोगों को
यही सड़क बन जाती है रणक्षेत्र
बलि होते निर्दोष असहाय
सड़क पार करते करते पार कर जाते है
अपने जीवन की रेखा

Friday, July 22, 2011

नंदलाल के संग

जय जय श्री राधे सरकार
जमुना जी के घाट पर अदभुत रचा प्रसंग
केश खोल राधा खड़ी नंदलाल के संग
चन्दन दतिया पकड़ राह्यों अलक सुलझाए
अतुल श्याम छवि देखकर राधे रही मुसकाय
कौतुक निरख  नंदलाल के गोपी भई निहाल

राधेरानी के केशन में  भले फसे गोपाल
अपनी माया डालकर सब जग रहा नचाय
ऐसे त्रिभंगी लाल को राधे रही सताय
चरण कमल में राख लो  "सोनल" की  अरदास
तव  सुमिरन मात्र मिटे जन्म-जन्म के त्रास .

Thursday, July 14, 2011

गूंगे बहरे लोग !!!


जाओ चेहरा धोकर 
शांत हो जाओ
तुम्हारा भी  लहू
नालियों में ही बहेगा
 २
नाक पर रखकर रूमाल
पार कर लो वो गली
जहाँ मांस के जलने की
सडांध अभी ज़िंदा है
आखिर अपने अन्दर
की सडन के साथ भी तो
जी ही रहे हो ना

नहीं सुने मैंने कोई धमाके कल रात
कई सदियों से मुझे  कुछ सुनाई नहीं देता
नहीं चीखे ना आहें ना रुदन ना कलपना
मेरी आँखों को दर्द दिखाई नहीं देता
४ 
नसे अब फड़कती नहीं
जवानियाँ  आई नहीं कौम पर
पत्थर से जड़ हो चुके है
तालिया बजा देते है मौन पर

पीढ़ी
दर पीढ़ी रीढ़ की हड्डी
गिरवी रखते रखते
देखो नई नस्ल
बिना इसके पैदा होने लगी

Thursday, July 7, 2011

बड़े मियाँ दीवाने

उम्र के उस मोड़ पर खड़े बड़े मियाँ अब आप नाम पूछोगे ,अमां यार रहने दो नाम जान कर कौन सा तीर मार लोगे बस आप तो इश्टोरी के मजे लो ,हाँ तो उम्र के उस मोड़ पर बड़े मियाँ  खड़े थे जहाँ जवानी छोड़ कर भागती है और बुढ़ापा अपनी ओर खींचता है और इंसान उसी लकीर पर तब तक खड़ा रहना चाहता है जब तक खड़ा रह सके ..पकते बाल पहले मेहँदी फिर हिजाब से रंगे जाते है ..महीन लकीरे दाढ़ी मूंछो से छुपाई जाती है ...हलके रंगों से गहरे रंगों की ओर फिर से दौड़ा जाता है .....और पड़ोस के जवान होते बच्चो को ध्यान से सुनकर ..नए शब्द और मुहावरे सीखे जाते है ...मतलब सींग तुड़ा कर ...समझ गए ना आप .

अब
बड़े मियाँ  तो अपने को स्मार्ट समझ रहे होते है और आसपास के बच्चे उनकी स्मार्टनेस देखकर ठहाके लगा रहे होते और नवयुवतिया समझने की कोशिश कर रही होती है "ये अंकल को हुआ क्या है ".  
बड़े मियाँ सोचते हाय हम इस समय जवान क्यों ना हुए इतनी रंगीन ज़िन्दगी तो हमारी जवानी में ना थी ,इतना खुलापन ,इतनी आज़ादी . अब बड़े मियाँ एक डोर पकड़ते है तो दूसरी हाँथ से छूट जाती है...इक चीज़ जो बड़े मियाँ की उम्र से ज्यादा तेजी से बढ़ रही है वो है उनका ईगो  गलती से एक हसीना (जिसपर ये फ़िदा थे ) अंकल कह कर निकल गई ..तो ईगो में आग लगनी थी तो लग गई पर फुकने से किसका भला हुआ है . आफिस में अपने टार्गेट हर रोज सेट करते आइये उनके टार्गेट देखे और समझे कोई फायदा नहीं टार्गेट धरे के धरे रह गए हिम्मत ही नहीं  जुटा पाए बड़े मियाँ
मीता- बहनजी टाइप, जिसने अपनी दुनिया अपनी चोटी में बाँध रखी   है अगर उसने अपनी चोटी खोली तो शायद भूकंप आ जाए .
रीता -जो दुनिया को अपनी जूती पर रखती है ,उसके द्वारा उच्चारित सुभाषित देल्ली बेल्ली को भी मात करते है .
अनीता -चालु चैप्टर जी इसी नाम से बुलाते है है उसे ,उसका कोई काम कभी नहीं अटकता और वो अपने साथ किसी को अटकने नहीं देती 


गीता -बेचारी मीता और अनिता के बीच का पात्र है मीठी होने की कोशिश में चिपचिपी हो जाते है और सब पीछा छुडाते नज़र आते है,अगर मीता के साथ रहती है तो परेशान और अगर अनिता के साथ तो महापरेशान .


सविता- इन २०+ कन्याओं में ये ४५  + महिला जो सामान भाव से सबसे मित्रता रखती है वो भी
बड़े मियाँके दौर से गुज़र रही है पर बेहतर तरीके से (इनकी कहानी फिर कभी ,कृपया याद दिला दीजिएगा )

अब बात आई
बड़े मियाँ की उनको आपकी सलाह की ज़रुरत है कौन सा टार्गेट सेट करे और क्यों ?


(सत्य घटना पर आधारित ,पात्रों के नाम काल्पनिक है और लय में रखे गए है , अगर किसी को यह पात्र अपने जैसा लगता है तो इसमें लेखक का नहीं आपकी उम्र का दोष है "टेक इट easy " }




Monday, July 4, 2011

स्वाहा !


स्वाहा !
दोष मेरे
कष्ट मेरे
भाव सारे
भ्रष्ट मेरे

पाप मेरे
श्राप मेरे
पीर मेरी
संताप मेरे

लोभ मेरे
मोह मेरे
नियति के
भोग मेरे

सारे संकट
सारे कंटक
मोह मेरे
शोक मेरे

स्वाहा !