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Thursday, July 29, 2010

रात अधूरी ....

चिंदी चिंदी


टुकड़ा टुकड़ा

रात को जोड़ा

चाँद को पकड़ा

रूठा रूठा
हाथ  से छूटा

वो भूरा

बादल का टुकड़ा

कुछ बड़े

तारे चिपकाए

कुछ छोटे

यूँही छितराए

रात की रानी

मांग के लाये

काजल भरकर

नैन जलाये

लोरी गाकर

जग सुलाया

बनी प्रेयसी

तुझे बुलाया

अब काहे

मीलों की दूरी

आओ तुमबिन

रात अधूरी

Monday, July 26, 2010

एक डुबकी गंग धार में

एक डुबकी गंग धार में


कांवर के त्यौहार में

तन मन सब धुल जाए

हर हर गंगे हो जाए

सावन के उस मेले में

मन भर पाओ धेले में

सारा आँचल भर जाए

जय बम भोले हो जाए

दूध दही और शहद

धतूरा भांग और मृग-मद

बेलपत्रि सी चढ़ जाऊं

शायद मैं भी तर जाऊं

घर से इतनी दूरी है

ऐसी ही मजबूरी है

चुल्लू भर आचमन लिया

शायद मैं भी तर जाऊं

Saturday, July 24, 2010

लिखो ना.......(2)

लिखो ना.......


महका बेला

बिखरा काजल

हुई पिया की

बहका आँचल

लिखो ना ....

मधुमास में

मधुमय रातें

प्रेम पगी थी

मीठी बातें

लिखो ना.....

लड़ना चिढना

और रुलाना

देना ताने

फिर मनाना

लिखो ना .....

कितने पल

कितनी बातें

हमने बांटी

कितनी सौगातें

प्रेम तुम्हारा

साथ तुम्हारा

मुझपर ये

विश्वास तुम्हारा

एक सम्मोहन

एक आकर्षण

कर डाला

सबकुछ अर्पण

इतना प्यार

संवर गई मैं

लिखा ह्रदय पर

नाम तुम्हारा

Wednesday, July 21, 2010

लिखो ना ..

लिखो ना ..


पहली मुलाकात

हलकी हरारत

तेज़ धड़कन

आँखों में शरारत

लिखो ना ...

पहली छुअन

हलकी सरसराहट

तेज़ साँसे

बेहद घबराहट

लिखो ना ....

छोटी शामें

लम्बी रातें

बेबाक बे-तकल्लुफ

मीठी बातें

लिखो ना ...

सात फेरे

साथ मेरे

गूंजी शहनाई

नम बिदाई

लिखो ना ...

नया आँगन

सिमटी दुल्हन

कोरे रिश्ते

जुड़ते दिलसे

(जारी .... अभी बहुत लिखना है )

Sunday, July 18, 2010

रजनीगंधा बन महक उठूँ

मैं सोने सी कुछ आग सी

कभी चमक उठूँ कभी दहक उठूँ

ना जाने किस पल लहक उठूँ

दरिया को संग बहा लूं मैं

बिन मेघ भी जल बरसा लूं मैं

दुनिया के तंग घरौंदे में

गौरया बन मैं चहक उठूँ

खुद के रहस्य में उलझी मैं

टूट गई ना सुलझी मैं

ना जाने कोई किस रात में

ध्रुव तारे सी चमक उठूँ

खुशबू मेरे तन का हिस्सा

हर रंग मुझी से बावस्ता

ना जाने कब किस क्यारी में

रजनीगंधा बन महक उठूँ

Thursday, July 15, 2010

तुझसे दिल लगने के बाद

माना है वो बिगड़ने के बाद


बरसा है बादल सुलगने के बाद

कभी सामने आना गवारा नहीं था

आज हटते नहीं है निखरने के बाद

पानी मखमल सा सुर्ख लगता है

उनके दरिया में उतरने के बाद

बात है मीठी  या जबां मीठी है

जवाब आयेगा चखने के बाद

चाँद से हैं  या चाँद रात से है

खुलेगा राज़ हिजाब पलटने के बाद

क्या हैं कीमत मेरे प्यार की

हिसाब मिलेगा शायद मेरे बिकने के बाद

अंगडाई से क़यामत ना आ जाए

कौन बचेगा ज्वार उतरने के बाद

गुमसुमी हरारत बेहोशी और दीवानापन

सारे रोग लगे है तुझसे दिल लगने के बाद

कितने है मेरे मुरीद सिवा उनके

जानेगा ज़माना जनाजा उठने के बाद

Tuesday, July 13, 2010

ये हश्र एक रोज़ होना ही था

कितनी बेचैन गुजरी है रात

उमस भी हद से ज्यादा थी

पसीना और आंसू एक साथ बहे

घुटन जान लेने पर आमादा थी

तुम सोये सुकून से

हर रिश्ता तोड़ जो आये थे

हम पोटली लिए बैठे रहे लम्हों की

हमारे आँचल में छोड़ आये थे

चार आँखों का नसीब तय हुआ

दो को हँसना दो को रोना था

बड़ा गुरूर था अपनी मोहब्बत का

ये हश्र एक रोज़ होना ही था

Wednesday, July 7, 2010

!! बिना जुर्म सज़ा पाई है !!

समाज में आये दिन होने वाले एसिड अटैक पर आधारित.....

चुनरी सहेज दी है

जो गुडिया को उढाई थी

कद बढ़ते ना जाने कब

मेरे सर पर सरक आई थी

माँ ने सितारे टांके थे

मन्नतों के दुआओं के

काला टीका लगाया था

दूर रहे बुरी बलाओं से

पर .....................

आते जाते बुरी नज़र गड गई

एक पल के हादसे में

उसकी रंगत उजाड़ गई

दुआए ना बचा सकी

मेरा चेहरा तेज़ाब से

आज भी मवाद रिसता है

चुनरी के ख्वाब से

आज..........................



चीथड़े समेटकर

डस्टबिन में डाले है

झुलसी थी रात

आगे तो उजाले है

अतीत के निशाँ आईने में

रोज़ देखना दुखदाई है

कैसी मुजरिम हूँ मैं

जो बिना जुर्म सज़ा पाई है

Saturday, July 3, 2010

पहली बारिश और हम तुम....

सिमटे सिमटे


सीले सीले

आधे सूखे

आधे गीले

पहली  बारिश

और हम तुम

सुलगे सुलगे

दहके दहके

थोड़े संभले

थोड़े बहके

पहली  बारिश

और हम तुम

चाय की प्याली

गर्म पकोड़े

मुंह  में भरते

सी सी करते

पहली बारिश

और हम तुम

सावन आये

सावन जाए

जिया करेंगे

संग रहेंगे

पहली  बारिश

और हम तुम

Thursday, July 1, 2010

१ जुलाई , १ साल,१०० वी पोस्ट "राँझा राँझा ना कर हीर "

सौवी पोस्ट लिखने जा रही हूँ ये तो पता था पर आज १ जुलाई को मेरे ब्लॉग का साल पूरा हो रहा है ये अनायास पता चला .... बीज तो अंकुरित हो गया कुछ नन्ही -नन्ही कोंपलें भी दीख रही है ...मन खुश है ..अरे दोहरी ख़ुशी है ... बस आप लोग शुभकामनाये और आशीर्वाद दीजिये .....
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जब पहली बार तुमसे निगाह मिली थी तो शायद उस पल मेरी पलक बहुत देर में झपकी थी,जब दुबारा तुम्हे पलट कर देखा को दिल इतनी जोर से धड़क रहा था की कोई मेरी साइड में खड़े होकर मेरी धड़कन सुन सकता था, माथे पर पसीने की बूंदे,हाँथ पाँव ठन्डे ..सारे हार्ट अटैक के लक्षण.




उसके बाद महीनो तक तुम दिखे नहीं तुम्हारी शक्ल धुंधली सी सी होने लगी ,तुम्हे भूल गई ये तो नहीं कहूँगी पर भीड़ में कई बार तुम्हे ढूँढा जरूर, कमबख्त उम्र का ये मोड़ होता ही ऐसा है पूरी तरह केमिकल लोचा ,,,


कालेज का पहला दिन,कुछ घबराहट कुछ रोमांच सहेलियों के साथ अपनी क्लास ढूंढ रही थी,अचानक दिल मनो १२ वी मजिल से ग्राउंड फ्लोर पर बिना लिफ्ट गिर गया, तुम रैगिंग के लिए सामने थे ...उफ़ तुम क्या बोल रहे थे एक शब्द पल्ले नहीं पड़ रहा था... सारी दुनिया समझ रही थी मैं नर्वस हूँ पर क्यों ..ये तो तुमको भी नहीं पता....


अचानक ....कुछ सोचते हुए मुई लम्बी सी मुस्कान होंठो पर खेल गई ..तुमने नोटिस किया और सबके सामने एकदम बोल दिया "अरे क्लोसअप स्माइल " .सबकी निगाहें मुझ पर और मैं गडी जा रही थी ....


उस रात घंटो तुम्हारे ख्यालों के साथ करवट बदलती रही ..ब्लू शर्ट में बहुत सही लग रहे थे तुम ,बालों का स्टाइल कुछ ओके सा ही पर चलता है,हाँथ में मोती की अंगूठी .. गुस्सा बहुत आता है क्या ?


रात और सुबह के बीच का फासला कुछ घंटो का ही था और मैं फिर तैयार थी कालेज के लिए .... पर नामुराद ऑटो हड़ताल पर ...आज ही ये होना था फिर सन्डे ...दो दिन कितने मुश्किल थे क्या बताऊँ


सोमवार की सुबह ,शिव जी को हाँथ जोड़े ...आईने के सामने थोड़ा ज्यादा वक़्त लगाया,आज बाल कुछ ज्यादा मुलायम लगे ..चेहरा भी चमक रहा था ,कहीं पढ़ा था प्यार आपको और खूबसूरत बना देता है ..पर तुमको कैसी लगती हूँ ये ज्यादा improtant हैं .................... कोई मौक़ा नहीं छोड़ा मैंने तुम्हारे करीब आने का ... कभी नोट्स ,कभी हेल्प ..कभी कभी लगता तुम भी मुझे पसंद करते हो ..पर बोलना तो चाहिए ..


शायद मुझे ही प्रपोज मारना पडेगा .......... कही कोई और ना आ जाए तेरे मेरे बीच में ..


हर आशिक को लगता है किसी को पता नहीं चलेगा पर कमबख्त छुपता कहाँ है मानसी ने पकड़ लिया एक दिन ..क्या बात है मैम...कहाँ निगाहें और दिल अटका बैठी हो ......... दिल की लिफ्ट फिल १२ वी से बसेमेंट में ..धडाम चोरी पकड़ी गई ...कोई नहीं एक सांस में बता दिया उसको ...


पहले उसने बेहताशा हँसना शुरू किया


.."तुझे और कोई नहीं मिला ",


उसके बाद मैं बहुत देर तक इमोशनल रोलर कोस्टर पर सवार रही . हे भगवान् मुझे यही मिला था .. अगर मेरी सौत कोई लड़की होती तो लड़ भी जाती ...पर यहाँ तो रांझा रांझे पे मर रहा है ..........रांझा रांझा ना कर हीर
"न वो रांझा था ना मैं हीर थी

जो हुआ  वो तकदीर थी
 लम्हा जब गुजरा
दिल के दाग में हलकी पीर थी "

अपनी स्टोरी द एंड ..