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Friday, April 2, 2010

अभी और जीना है

कुछ ख्वाब टूटे हुए

कुछ अपने छूटे हुए
टूटे को सहेजना है
छूटे को टेरना है


कुछ खुशबुए बिखरी हुई

कुछ लटें उलझी हुई
खुशबूं को समेटना है
लटों को सवारना है

कुछ जख्म रिसते हुए

कुछ अश्क छलके हुए
जख्मों को सीना है
अश्कों को पीना है


सब संवर जाएगा

मेरा रूप निखार जाएगा
साथ दे दो मेरा
मुझे अभी और जीना है

7 comments:

  1. मेरा रूप निखार जाएगा
    साथ दे दो मेरा
    मुझे अभी और जीना है

    ......बहुत खूब, लाजबाब !

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  2. .... काबिलेतारीफ बेहतरीन......

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  3. "मुझे अभी और जीना है"
    ये कविता की पंच लाईन है.....बढ़िया लिखा है.."

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  4. साथ दे दो मेरा
    मुझे अभी और जीना है



    wow !!!!!!!!!!!

    bahut acha


    http://kavyawani.blogspot.com/

    shekhar kumawat

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  5. साथ दे दो मेरा
    मुझे अभी और जीना है.
    ...दिल से धन्यबाद...

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  6. कुछ जख्म रिसते हुए
    कुछ अश्क छलके हुए
    जख्मों को सीना है
    अश्कों को पीना है

    क्या बात है...बहुत खूब....

    सब संवर जाएगा
    मेरा रूप निखार जाएगा
    साथ दे दो मेरा
    मुझे अभी और जीना है
    आशावादी सोच दर्शाती ..बहुत ही सुन्दर कविता है...

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  7. सोनलजी; बहुत अच्छा लिखा है . मुझे अभी और जीना है . अत्यंत ही सुन्दर और सशक्त आशावाद उभर कर आया है इस कविता में . हर इंसान को ऐसे ही सोचना चाहिए. जब जीने की तमन्ना दिल में होगी तो ही इंसान एक पूर्ण इंसान बन पायेगा.

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